hjjhgjgjg
करवा चौथ 2024 तिथि – Karwa Chauth 2024 Date
साल 2024 में करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर, 2024 ,रविवार के दिन रखा जाएगा। करवा चौथ व्रत में भगवान गणेश की भी पूजा होती है। इस दिन बुधवार है। चतुर्थी तिथि और बुधवार दोनों ही गौरी पुत्र गणेश को प्रिय है। ऐसे में इस साल सुहागिन व्रती को पूजा का दोगुना फल प्राप्त होगा।
करवा चौथ 2024 मुहूर्त – Karwa Chauth 2024 Muhurat
हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक महीने में दो चतुर्थी तिथि पड़ती है जिसे चौथ कहते हैं। यह तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है, जिनकी पूजा करने से सभी के दुख और विघ्नों का नाश होता है।
करवा चौथ व्रत समय – सुबह 06:11 – रात 08:45
करवा चौथ पूजा मुहूर्त – शाम 06:05 बजे से शाम 07:15 बजे तक
चांद निकलने का समय – रात 19:54 (20 अक्टूबर 2024 रविवार )
करवा चौथ Karwa Chauth 2024
करवा चौथ का व्रत कार्तिक हिन्दु माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दौरान किया जाता है। करवा चौथ 2024 का त्योहार हिंदुओं का बहुत प्रसिद्ध त्योहार है। इसे पूरे भारत में मनाया जाता है। लेकिन कुछ स्थानों पर इस त्योहार को ज्यादा विशेष मानकर मनाया जाता है, उदाहरण के लिए राजस्थान, गुजरात,महाराष्ट्र, पंजाब और उत्तरप्रदेश में इस त्योहार को अन्य राज्यों की अपेक्षा ज्यादा महत्व प्राप्त है। इस दिन कार्तिक माह की संकष्टी चतुर्थी होती है, जिसे वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है। करवा चौथ का व्रत सुहागन महिलाएं अखंड सौभाग्य और सुखी दांपत्य जीवन की कामना के लिए रखती हैं। इस व्रत को वो युवतियां भी कर सकती हैं, जिनका विवाह तय हो चुका होता है। कार्तिक कृष्ण चतुर्थी तिथि को निर्जला व्रत रखकर भगवान गणेश, करवा माता और चंद्रमा की पूजा करते हैं। यह व्रत चंद्रमा को अर्घ्य देने पर ही पूर्ण होता है।
इस दिन रात के समय वैवाहिताएं खाने की थाली को अपने पड़ोसियों या पास के रिश्तेदारों के साथ बदलती हैं। बदली हुई थाली को भी चंद्रमा के दर्शन के बाद ग्रहण किए गए भोजन के साथ रखा जाता है और प्रसाद के रूप में उसे भी खाया जाता है। सुहागिन स्त्रियां पति के कल्याण हेतु भी इस व्रत को रखती हैं। करवा चौथ के व्रत से मात्र पति को दीर्घ आयु ही नहीं मिलती बल्कि कल्याण की प्राप्ति के साथ साथ सभी कष्टों का निवारण भी हो जाता है।
करवा चौथ का दिन और संकष्टी चतुर्थी, जो कि भगवान गणेश के लिए उपवास करने का दिन होता है, एक ही समय होते हैं। विवाहित महिलाएँ पति की दीर्घ आयु के लिए करवा चौथ का व्रत और इसकी रस्मों को पूरी निष्ठा से करती हैं। विवाहित महिलाएँ भगवान शिव, माता पार्वती और कार्तिकेय के साथ-साथ भगवान गणेश की पूजा करती हैं और अपने व्रत को चन्द्रमा के दर्शन और उनको अर्घ अर्पण करने के बाद ही तोड़ती हैं। करवा चौथ का व्रत कठोर होता है और इसे अन्न और जल ग्रहण किये बिना ही सूर्योदय से रात में चन्द्रमा के दर्शन तक किया जाता है।
करवा चौथ के दिन को करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। करवा या करक मिट्टी के पात्र को कहते हैं जिससे चन्द्रमा को जल अर्पण, जो कि अर्घ कहलाता है, किया जाता है। पूजा के दौरान करवा बहुत महत्वपूर्ण होता है और इसे ब्राह्मण या किसी योग्य महिला को दान में भी दिया जाता है।
करवा चौथ व्रत का महत्व – Importance of Karva Chauth fast
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, करवा चौथ का व्रत सुहागन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं। इसके साथ ही पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। पहले केवल विवाहित स्त्रियां ही ये व्रत करती थीं। पर अब अविवाहित लड़कियां भी करवा चौथ का व्रत करती हैं। अविवाहित लड़कियां अगर ये व्रत करती हैं तो उनको मनचाहा वर मिलता है। ऐसा माना जाता है कि करवा चौथ का व्रत यदि विधि-विधान से रखा जाए तो पति की उम्र लंबी होती है, अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है।
करवा चौथ मंत्र Karwa Chauth Mantra
चंद्र को अर्घ्य देते समय करें इस मंत्र का जाप।
करकं क्षीरसंपूर्णा तोयपूर्णमयापि वा। ददामि रत्नसंयुक्तं चिरंजीवतु मे पतिः॥
इति मन्त्रेण करकान्प्रदद्याद्विजसत्तमे। सुवासिनीभ्यो दद्याच्च आदद्यात्ताभ्य एववा।।
एवं व्रतंया कुरूते नारी सौभाग्य काम्यया। सौभाग्यं पुत्रपौत्रादि लभते सुस्थिरां श्रियम्।।
Karwa Chauth Vrat & Puja Samagri
करवा चौथ पूजा और व्रत सामग्री लिस्ट। करवा चौथ व्रत पूजन:
- करवा
- पूजा की थाली
- छलनी (छलनी)
- करवा माता की फोटो
- कपूर
- पानी
- मिठाइयाँ एवं सूखे मेवे
- विवाहित महिलाओं से जुड़ी सभी चीजें (सौंदर्य प्रसाधन)
- फूल-माला
- दो दीये (एक करवा माता के लिए और एक चंद्रमा के लिए)
- शहद, चीनी, दूध
- सिन्दूर
- मेहंदी
- कलावा
- चंदन (चंदन)
- हल्दी
- अगरबत्ती
- नारियल
- अक्षत (चावल)
- घी
करवा चौथ पूजन विधि(karwa chauth worship method)
- सबसे पहले सूर्योदय पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत होकर अपने घर के पूजा स्थान को साफ स्वच्छ कर लें। भगवान श्री गणेश का ध्यान करते हुए करवा चौथ व्रत का संकल्प लें। पूरे दिन निर्जला रहें।
- सामने दीवार पर करवा चौथ पूजा का पाना चिपकाएं। नीचे चौकी पर एक करवा रखें जिसमें गेहूं, चावल या शकर भरे जाते हैं। सामने पाने पर गणेशजी से प्रारंभ करके समस्त पूजन सामग्री से पूजन करें। करवे का पूजन करें। करवे पर स्वस्तिक बनाएं फल रखें, फूल अर्पित करें, कुछ मुद्रा अर्पित करें। करवे के ढक्कन में खड़े हरे मूंग या शकर भर दें।
- गणेश गौरी का पूजन करें। गौरी को समस्त सुहाग की सामग्री भेंट करें।
- इसके बाद करवा चतुर्थी व्रत की कथा सुनें या पढ़ें। कथा सुनने से पहले हाथ में चावल के 13 दानें लें। इन दानों को साड़ी के छोर पर बांध लें।
- इस प्रकार तीन बार पूजन किया जाता है। सुबह पूजा करने के बाद दोपहर में चार बजे और फिर रात्रि में चंद्रोदय के पूर्व। तीनों बार की पूजा हो जाने के बाद रात्रि में चंद्रोदय की प्रतीक्षा की जाती है।
- रात्रि में चंद्रोदय होने पर चंद्र देव का पूजन करें। जल का अर्घ्य दें, साड़ी के छोर में बंधे चावल के 13 दानें निकालकर उन्हें अर्घ्य के साथ चंद्र को अर्पित करें। दीपक से चंद्र की आरती करें। फिर छलनी में से पति का चेहरा देखें। इसके बाद पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलें और भोजन ग्रहण करें।
- पूजा में उपयोग किया हुआ करवा सास या सास के समान किसी सुहागिन महिला को भेंट करें।
करवा चौथ व्रत कथा – Karva Chauth Vrat Katha
मान्यताओं के अनुसार एक ब्राह्मण के सात पुत्र और एक पुत्री थी जिसका नाम वीरावती। वीरावती के भाई अपनी बहन को खुस रखने के लिए कुछ भी कर सकते थे। बढ़ी होने के बाद वीरावती की शादी हो गए और वो अपने ससुराल चली गई। ससुराल जाने के बाद वीरावती करवा चौथ का व्रत करने लगी। उसका वैवाहिक जीवन सुखो से भरा हुआ था। एक बार वीरावती करवाचौथ के व्रत के दिन अपने मायके आई हुई। वह भी उसने करवा चौथ का व्रत रखा लेकिन जब उसके भाई भोजन करने के लिए बैठे तो उन्होंने उससे आग्रह किया की वो भी भोजन ग्रहण करने। लेकिन उनसे बताया की आज उसका करवा चौथ का व्रत है और वह भोजन चंद्रमा को देखकर उसे अर्घ्य देकर ही करेगी। लेकिन उस दिन चंद्रमा देरी से निकला है। उससे पहले उसके भाइयो ने के एक उक्ति सोची और उन्होंने पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है। दूर से देखने पर वह दीपक चंदमा लग रहा था। फिर एक भाई ने वीरावती को कहा कि देखो चांद निकल आया है। तुम पूजा कर के अपना भोजन गृहण करो। वीरावती ने वैसे ही किया।
उसके बाद उसने जैसे ही पहला निवाला मुंह में डाला है तो उसे छींक आ गई और दूसरा निवाला डाला तो उसमें बाल निकल आया। इसके बाद उसने जैसे ही तीसरा निवाला मुंह में डालने की कोशिश की तो उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिल गया।
तभी उनके भाईओ को अहसास हुआ की ये सब उनकी वह से हुआ है करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए है। वीरावती के विलाप और दुःख को देख कर, इंद्र देव की पत्नी इंद्राणी करवाचौथ के दिन धरती पर आईं। वीरावती ने अपने पति की प्राण के लिए प्रार्थना की। उन्होंनें वीरावती को सदासुहागन का आशीर्वाद देते हुए उसके पति को जीवित कर दिया। इसके बाद से महिलाओं का करवाचौथ व्रत पर अटूट विश्वास होने लगा।