आइए जाने कब है सावन की संकष्टी चतुर्थी ? जानिए तिथि शुभ मुहुर्त और महत्त्व :Aaie Jaane Kab Hai Saavan Kee Sankashtee Chaturthee?Jaanie Tithi Shubh Muhurt Aur Mahattv
संकष्टी चतुर्थी: Sankashti Chaturthi
इस साल 2023 में जुलाई महीने की पहली संकष्टी चतुर्थी 6 जुलाई, दिन गुरुवार को पड़ रही है। यह सावन मास के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी है, जिसे हम गजानन संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जानते है। इस व्रत की ऐसी मान्यता है कि इस दिन गणेश जी का पूजा-अर्चना करने से सभी कष्ट दूर होते है,और संपन्न जीवन जीने का आशीर्वाद भगवान श्री गणेश देते हैं। श्री गणेश विघ्नहर्ता माने गए हैं, यानी सभी दुखों को हरने वाले देव।
संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त:Sankashtee Chaturthee Shubh Muhoort
संकष्टी चतुर्थी तिथि का प्रारंभ- 6 जुलाई को 06:29
संकष्टी चतुर्थी तिथि का समापन- 7 जुलाई, शुक्रवार को 03:13
संकष्टी चतुर्थी का महत्व :Sankashtee Chaturthee Ka Mahttv
इस साल इसका धार्मिक महत्व और भी बढ़ गया है। क्योकि सावन का महीना भोलेनाथ को समर्पित है , और गणेश जी तो भोलेनाथ जी के पुत्र है। इसलिए सावन में आने वाली संकष्टी चतुर्थी का बहुत महत्त्व है। सावन में भगवान गणेश को दूर्वा घास अर्पित करने से वे अधिक प्रसन्न होते हैं तथा भक्तों की सभी मनोकामनाएं भी पूरी करते हैं। अत: 21 दूर्वा घास पूजा में जरूर चढ़ाएं। साथ ही चतुर्थी के दिन शमी के पेड़ का पूजन करने तथा शमी के पत्ते श्री गणेश को अर्पित करने से भी वे प्रसन्न होते है।
संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि:Sankashtee Chaturthee Kee Poojaa Vidhi
संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण करके हाथ में जल लेकर गणेश जी के सामने व्रत करने का संकल्प लें।पूजा स्थल पर लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर उस पर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें। उसके बाद गणेशजी का अभिषेक और , चंदन लगाएं फिर वस्त्र अर्पित करें। अगर आप प्रतिमा पर वस्त्र नहीं अर्पित कर सकते हैं तो मन में श्रृद्धा भाव रखते हुए कलावा अर्पित करें। उसके बाद फल-फूल, 21 दूर्वा, अक्षत, धूप-दीप, गंध आदि अर्पित करें और मोदक का भोग जरूर लगाए । उसके बाद गणेश चालीसा का पाठ करें और संकष्टी चतुर्थी व्रत की कथा सुनें। फिर आरती।शाम की पूजा में एक बार फिर से गणेशजी की इस विधि से पूजा करें और आरती करें। उसके बाद चंद्रोदय पश्चात चंद्रमा को अर्घ्य दें और व्रत का पारण करें।
गणेश जी की आरती:Ganesh Ji Ki Aarti
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥