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विजया एकादशी-Vijaya Ekadashi

विजया एकादशी 2024, हिन्दू पंचांग में एक महत्वपूर्ण व्रत  है जो कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है।हिंदू कैलेंडर के अनुसार, आमतौर पर 24 एकादशियां होती हैं जो पूरे वर्ष में होती हैं। एक महीने में दो एकादशियां होती हैं, जिसमें एक कृष्ण पक्ष के समय और दूसरी शुक्ल पक्ष के समय होती है। विजया एकादशी का आयोजन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन किया जाता है और इस व्रत का मुख्य उद्देश्य विजय प्राप्ति, रक्षा, और सुख-शांति की कामना करना है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और भक्तगण व्रत के दौरान विशेष रूप से नीम के पेड़ के पत्तों का सेवन करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस शुभ तिथि पर, यदि कोई व्रत का विधि-विधान से पालन करता है, तो उस व्यक्ति को उसके हर कार्य में सफलता मिलती है।

विजया एकादशी 2024 -Vijaya Ekadashi

विजया एकादशी को फाल्गुन माह में ग्यारहवें दिन (एकादशी) को कृष्ण पक्ष के दौरान मनाया जाता है। विजया एकादशी की पूर्व संध्या या तो मार्च महीने या फरवरी के महीने में होती है जिसे भगवान विष्णु की आराधना के लिए मनाया और पूजा जाता है।

विजया एकादशी तिथि एवं मुहूर्त – Vijaya Ekadashi Tithi & Muhurt 2024

विजया एकादशी तिथि – 06 मार्च 2024, बुधवार

विजया एकादशी पारणा मुहूर्त –13:42:51 से 16:03:57 तक
7, मार्च कोअवधि -2 घंटे 21 मिनट
हरि वासर समाप्त होने का समय – 09:33:09 पर 7, मार्च को

विजया एकादशी का महत्व – Vijaya Ekaadashee Ka Mahatv

सभी व्रतों में विजया एकादशी का व्रत सबसे प्राचीन माना जाता है। विजया एकादशी का हिन्दू धर्म में विशेष रूप से महत्व माना जाता है और इस दिन का व्रत भक्तों के लिए अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।कहा जाता है कि जो मनुष्य विजया एकादशी का व्रत रखता है उसके पितृ और पूर्वज कुयोनि को त्याग स्वर्ग लोक जाते हैं। इसे “मोहिनी एकादशी” भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप में अपना अवतार दिखाया था और देवताओं और आसुरों के बीच सुधार करते हुए देवताओं को अमृत प्रदान किया था।

विजया एकादशी का महत्व इस प्रकार है –

मोहिनी अवतार- इस एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा जाता है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप में अपना अवतार लिया था। उन्होंने देवताओं और आसुरों के बीच समझौता करके देवताओं को अमृत प्रदान किया और देवताओं को जीत दिलाई थी।

पुण्य का स्रोत- विजया एकादशी का उत्सव भक्तों को धार्मिक कर्मों और व्रतों का पालन करने के लिए प्रेरित करता है। इस दिन के व्रत से व्यक्ति अपने पापों का क्षय करता है और पुण्य का स्रोत बनता है।

सुख-शांति की प्राप्ति- विजया एकादशी का व्रत करने से भक्त विजय प्राप्ति, सुख, और शांति की कामना करते हैं। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा करने से भक्त उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

कर्म की सफलता- इस एकादशी का पालन करने से व्यक्ति को अपने कर्मों में सफलता मिलती है और उसके जीवन में विजय का सामर्थ्य बढ़ता है।

विजया एकादशी पूजा विधि-Vijaya Ekadashi puja Method

पूजा की तैयारी:

  • सुबह स्नान करें और शुद्ध स्थान पर बैठें।
  • पूजा के लिए  मूर्ति या चित्र का चयन करें।
    कलश स्थापना-
  • एक कलश में पानी भरें और उसमें सुपारी, इलायची, लौंग, बत्ती, रोली, चावल, गंगाजल, और फूल डालें।
  • कलश को स्थानीय नीवत पर रखें और उसे पूजा के लिए सजाएं।
    पूजा-
  • विष्णु चालीसा या अन्य विष्णु स्तोत्रों का पाठ करें।
  • भगवान विष्णु को तुलसी पत्र, फूल, और नैवेद्य से पूजें।
  • मोहिनी एकादशी की कथा का पाठ करें।
    व्रत कथा-
  • मोहिनी एकादशी की कथा को ध्यान से सुनें या पढ़ें।
    आरती-
  • भगवान विष्णु की आरती गाएं।
    प्रसाद-
  • विष्णु भगवान को प्रसाद के रूप में फल, चावल, और मिठाई अर्पित करें।
    नियमों का पालन-
  • व्रत के दिन एक बार ही खाना खाएं।
  • विष्णु पूजा के बाद भगवान को प्रसाद के रूप में बाँटें।
  • रात्रि में विष्णु चालीसा या भक्ति गीत सुनें।

विजया एकादशी व्रत कथा- Vijaya Ekaadashee Vrat Katha

ऐसा माना जाता है कि त्रेता युग में जब भगवान श्री राम लंका पर चढ़ाई करने के लिए समुद्र तट पर पहुँचे, तब मर्यादा पुरुषोत्तम ने समुद्र देवता से मार्ग देने की प्रार्थना की परन्तु समुद्र देव ने श्री राम को लंका जाने का मार्ग नहीं दिया तब श्री राम ने वकदालभ्य मुनि की आज्ञा के अनुसार विजय एकादशी का व्रत विधि पूर्वक किया जिसके प्रभाव से समुद्र ने प्रभु राम को मार्ग प्रदान किया। इसके साथ ही विजया एकादशी का व्रत रावण पर विजय प्रदान कराने में सहायक सिद्ध हुआ और तभी से इस तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है।

 

 

 

 

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