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जानिए कर्क संक्रांति , महत्व, पूजा विधि :Jaanie Kark Sankraanti , Mahatv, Pooja Vidhi

जिस दिन सूर्य देव मिथुन राशि से निकलकर कर्क राशि में प्रवेश करते हैं तो उस समय को ही कर्क संक्रांति कहते है। कर्क संक्रांति से सूर्य देव उत्तरायण से दक्षिणायन में जाते है। इस दिन से सूर्य देव की दक्षिणी यात्रा की शुरुआत होती है, जिसे दक्षिणायन के नाम से भी जाना जाता है। सूर्य के दक्षिणायन होने से दिन छोटे होने लगते है। इस साल सूर्य देव श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को कर्क राशि में प्रवेश करेंगे। कर्क संक्रां​ति के महापुण्य काल में स्नान और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। कर्क संक्रांति का नाम घोर और दृष्टि नैऋत्य भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान हर साल छह महीने तक सोते हैं।दक्षिणायन के चारों महीनों में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन देव सयानी एकादशी भी है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार 1 साल में दो आयन होते हैं। आयन का अर्थ है परिवर्तन। इसका मतलब साल में दो बार सूर्य देव की स्थिति में परिवर्तन होता है। सूर्य देव 6 महीने तक उत्तरायण में रहता है और 6 महीने तक दक्षिणायन में रहता है।इस दिन अन्न और वस्त्र का दान करना अत्यंत पुण्यदायी बताया गया है।सूर्य देव एक राशि में 1 महीने तक विराजमान रहते हैं।

कब है कर्क संक्रांति 2023:Kab Hai Kark Sankraanti 2023

इस वर्ष कर्क संक्रांति 16 जुलाई दिन रविवार को है। इस दिन सूर्य देव वे दक्षिण की यात्रा प्रारंभ करेंगे, .कर्क संक्रां​ति से सूर्य देव क्रमश: 6 राशियों में गोचर करेंगे पहला कर्क राशि , सिंह राशि , कन्या राशि , तुला राशि , वृश्चिक राशि और धनु राशि में ,मकर संक्रांति की तरह ही कर्क संक्रांति का भी महत्व होता है। इस दिन स्नान और दान करने का विशेष महत्व है।

कर्क संक्रांति का महत्व:Kark Sankraanti Ka Mahatv

कर्क संक्रांति मानसून के मौसम की शुरुआत है, जो कृषि की शुरुआत का प्रतीक है, जो देश के लिए आय का एक अनिवार्य स्रोत है।कर्क संक्रांति के दिन सूर्योदय से पहले पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है और भगवान सूर्य देव से सदा स्वस्थ रहने के लिए कामना की जाती है। भगवान शिव, विष्णु और सूर्य देव केपूजा का कर्क संक्रांति के दिन खास महत्व माना जाता है। कर्क संक्रांति के दिन सहस्त्र नाम का जाप किया जाता है।सूर्य देव से सदा स्वस्थ रहने की कामना करें। आदित्य स्तोत्र एवं सूर्य मंत्र का पाठ करें। इस समय में शहद का प्रयोग करे।

कर्क संक्रांति पूजा विधि:Kark Sankraanti Pooja Vidhi

कर्क संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर दैनिक क्रियाओं से मुक्त होकर किसी पवित्र नदी, तलाब या जल कुंड में स्नान किया जाता है। स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दे। अर्घ्य देने के बाद सूर्य मंत्र का जापकरे। इसके बाद विष्णु भगवान जी की पूजा की करे। पूजा के बाद सहस्त्रनाम स्रोत का जाप किया जाता है।जिससे शांति और सौभाग्य की प्राप्ति की जा सकती है। कर्क संक्रांति पर भगवान विष्णु जी के साथ सूर्य देव की पूजा अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त करने के लिए की जाती है।

 

 

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